सरकारी भूमि पर अतिक्रमण ध्वस्त करने गयी नगर निगम की टीम को मय बुल्डोजर पड़ा लौटना

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उत्तराखंड में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हटाने के लिए सरकार लगातार बुलडोजर चलाने का काम कर रही है, लेकिन आज हम आपको उत्तराखंड की एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां नगर निगम की टीम को बगैर अतिक्रमण हटाए उल्टे पांव लौटना पड़ा। और नगर निगम का बुलडोजर वहां नहीं चल पाया।

डालनवाला स्थित राजेश रावत कालोनी में सरकारी भूमि पर किए गए अतिक्रमण को हटाने पहुंची नगर निगम की टीम को स्थानीय लोगों के विरोध के चलते बैरंग लौटना पड़ा। पूर्व पार्षद समेत चुनाव की तैयारी में जुटे दावेदार भी अतिक्रमणकारियों के पक्ष में खड़े हो गए।

दरअसल, मलिन बस्ती नियमितीकरण नीति के तहत साल-2016 के बाद नदी-नालों के किनारे समेत तमाम सरकारी भूमि पर किए गए निर्माण को अवैध घोषित किया गया है। ऐसे मकानों को नगर निगम की ओर से बिजली-पानी के कनेक्शन न देने के लिए भी संबंधित विभागों को पत्र लिखे गए हैं।
शहीद राजेश रावत कालोनी में भी नदी-नालों के किनारे बड़ी संख्या में अवैध निर्माण की शिकायत मिल रही थी। नगर निगम प्रशासन ने ऐसे निर्माण को लेकर अतिक्रमणकारियों को पूर्व में नोटिस भी भेजे गए हैं, लेकिन इसके बावजूद अतिक्रमण न हटाने पर संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई के लिए टीमों को गठन किया गया है।

सोमवार दोपहर नगर निगम की टीम जेसीबी और पुलिस बल के साथ राजेश रावत कालोनी पहुंची। टीम को देखते ही बस्ती के लोग एकत्र हो गए। भीड़ ने नगर निगम की कार्रवाई का विरोध करते हुए जेसीबी को रोक दिया। क्षेत्रवासियों का कहना था कि वह लंबे समय से यहां रह रहे हैं, इसलिए कार्रवाई न की जाए। इस मौके पर पूर्व पार्षद और चुनाव की तैयारियों में जुटे तमाम लोगों ने निगम टीम का जमकर विरोध किया। भीड़ अधिक होने पर नगर निगम की टीम को वापस लौटना पड़ा।
निगम अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2016 के बाद नदी किनारे हुए निर्माण अवैध हैं, जबकि इससे पहले बनाए गए भवनों के लिए सरकार की ओर से अध्यादेश लाया गया है। जिसके चलते उन्हें वैध की श्रेणी में माना जाता है। अब नगर निगम की टीम अतिक्रमण ध्वस्त करने को लेकर नए सिरे से रणनीति बनाने में जुट गई है।


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