अब लोहाघाट में कीवी की पैदावार पर जोर , किसानों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

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कृषि विज्ञान केंद्र मे कीवी उत्पादन के लिए शुरू की गई है महत्वपूर्ण कार्य योजना।

लोहाघाट। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा कीवी की खेती के लिए शुरू की गई पहल काफी कारगर साबित हो रही है। गत वर्ष केंद्र द्वारा कीवी के लगभग एक हजार पौध तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराए‌ जा रहे हैं। और इस वर्ष भी दो हजार पौध लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। केंद्र की उद्यान वैज्ञानिक डॉ रजनी पंत ने जिले के किसानों को आत्मा परियोजना के अंतर्गत कीवी की खेती की विस्तृत जानकारी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि जहां चीन को कीवी फल का जन्मदाता माना जाता है वहीं न्यूजीलैंड
इस फल का सबसे बड़ा उत्पादक देश बना हुआ है। कीवी के फल में विटामिन सी अधिक मात्रा में पाया जाता है इसमें पोटेशियम, विटामिन ए एवं एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा भी पाई जाती है,जो इम्युनिटी बढ़ाने एवं अनेक रोगों में लाभदायक होती है
डॉ पंत के अनुसार कीवी एक से‌ दो हजार फीट की ऊंचाई में आसानी से पैदा की जा सकती है।इसके लिए यहां की जलवायु काफी अनुकूल है कीवी पौध का रोपण करते समय तापमान 15 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए पौधों के विकास के लिए 5 से 7 डिग्री तापमान होना जरूरी है। कीवी पौधों को लगाने के लिए भूमि में एक से दो फीट चौड़े और दो फीट गहरे गड्ढे तैयार करें, कीवी के प्रत्येक पंक्ति के मध्य पांच मीटर की दूरी तथा हर गड्ढे के मध्य इतनी ही दूरी होनी चाहिए। फरवरी माह में पौधों का रोपण किया जाता है। इस बीच डॉ पंत द्वारा ग्रामीण काश्तकारों को कीवी के उत्पादन की तकनीकी जानकारी देने के साथ उसके पौध रोपण में बर्ती जाने वाली सावधानियों से भी अवगत कराया जा रहा है। इधर बाराकोट,पम्दा,रूपदे चनौडा,गंगनौला के ग्रामीणों को कीवी के 10-10 पौध निशुल्क वितरित किए।


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