सशक्त उत्तराखंड,नई दिल्ली। देश में बाल कुपोषण की स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है। हाल ही में संसद में पेश पोषण ट्रैकर रिपोर्ट के अनुसार, देश के 13 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के कुल 63 जिलों में 50% से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से अकेले 34 जिले उत्तर प्रदेश के हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, कुपोषण से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में महाराष्ट्र, झारखंड, मध्यप्रदेश और असम के कई जिले शामिल हैं। इन इलाकों में बच्चों में कुपोषण की दर 50% से भी अधिक पाई गई है, जो न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की कमजोरी को दर्शाता है बल्कि बच्चों के भविष्य पर भी गंभीर खतरे की ओर इशारा करता है।
सरकार इस गंभीर स्थिति को सुधारने के लिए ‘पोषण ट्रैकर’, ‘पोषण 2.0’, और ‘मिशन सक्षम आंगनवाड़ी’ जैसी योजनाओं के माध्यम से प्रयासरत है। इन योजनाओं के अंतर्गत पोषण संबंधित आंकड़ों की निगरानी, आंगनवाड़ी केंद्रों का सशक्तिकरण और माताओं-बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने की दिशा में काम किया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते कुपोषण पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो इसका दीर्घकालिक प्रभाव देश की अगली पीढ़ी की शारीरिक और मानसिक वृद्धि पर पड़ेगा। नीति निर्माताओं, स्वास्थ्य अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।