हल्द्वानी। शहर में जाम सबसे बड़ी समस्या है तो सड़कों किनारे सालों पुराने हरे भरे वृक्ष यहां की सुन्दरता और लोगों को छांव देने का काम करते हैं।
वरिष्ठ नेता और सामाजिक कार्यकर्ता दीपक बल्यूटिया ने वृक्षों के पातन और प्रत्यारोपण को लेकर आवाज बुलंद करते हुए उपजिलाधिकारी हल्द्वानी को ज्ञापन सौंपकर वृक्ष है तो हम है के नारे को भी बुलंद कर ग्लोबल वार्मिंग की ओर भी ध्यान खींचा है।
दीपक बल्यूटिया ने बताया कि काठगोदाम रेलवे स्टेशन, नारीमन चैराहा स्थित नैनीताल मुख्य मार्ग में सड़क चैड़ीकरण का कार्य किया जा रहा है और सड़क किनारे स्थित वर्षो पुराने वृक्षों का वन विभाग द्वारा पातन करने के लिए निशान भी लगा दिये गये है। जिसको लेकर जनता में भारी आक्रोश है, क्यांेकि ‘‘वृक्ष है तो हम है‘‘, और इन वृक्षोें से ही उत्तराखण्ड की पहचान हैं जिसके सौन्र्दय से पर्यटक आकर्षित होते है, और यह वृक्ष राहगीरों को छाया देते हैं साथ ही प्राणियों को ़आॅक्सी़जन देकर जीवनदायनी है। ऐसे में सड़क चैड़ीकरण के नाम पर इन विशालकाय वृक्षों का काटा जाना एक अनुचित निर्णय हैं। ग्रीष्मकाल में उच्च तापमान ने भविष्य के लिए अपनी चेतावनी दर्ज करायी हैं कि यदि पेड़ अधिक कटेगें तो मानव जीवन व सभी प्राणियों को जीवन का खतरा होगा। पेड़ो के कटने से प्राकृतिक/पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ने से जन जीवन पूर्णतया प्रभावित होगा।
ज्ञात हो पूर्व में भी माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड द्वारा अधिक से अधिक वृक्ष लगाने का आदेश सरकार को दिया गया है। इसके विपरीत बिना उचित योजना बनाये प्रशासन आनन फानन में कार्य करने को आतुर हैं। जबकि रेलवे स्टेशन, नारीमन चैराहा जहां टैफ्रिक जाम की स्थिति रहती हैं वहां पर प्रशासन ने कुशल यातायात प्रबन्धन व अन्य विकल्प के माध्यम से समस्या का निदान करना चाहिए। इसके लिए विदेशों की तर्ज पर प्रशासन ने तैयार की गयी रूपरेखा से जनता को अवगत कराना चाहिए और इस पर जनता से सुझाव आंमत्रित किये जाने चाहिए ताकि जनआकांक्षाओं के अनुरूप विकास संपादित हो सके।
प्रशासन द्वारा बड़े पेड़ों जैसे कि पाकड़, पीपल, नीम, सैमल, हल्दू आदि पेड़ों की शिफटिंग की बात कहीं जा रही है। जो कि प्रथम दृष्टया अव्यावहारिक व असफल प्रतीत होती हैै, क्यांेकि काठगोदाम क्षेत्र पहाड़ की तलहटी पर स्थित है और जिसकी मिट्टी पथरीली हैं जिसमें वृक्षों की जड़े फैली हुई है ऐसे में प्रश्न उठता है कि विशालकाय वृक्षों को मय जड़ सुरक्षित रूप से उत्खनन कैसे सम्भव होगा। प्रशासन स्पष्ट करें कि क्या पेड़ों की जड़ो की मिट्टी के स्वरूप की जांच करा ली गई हैं। क्या वनस्पति विशेषज्ञों द्वारा पेड़ो के सुरक्षित उत्खनन के लिए आख्या ले ली गई है और साथ ही विषय विशेषज्ञों द्वारा पेड़ स्थानांतरित किये जाने के बाद पेड़ जीवित/सुरक्षित रह पायेगें। पेड़ो का प्रत्यारोपण यदि सफल नहीं हुआ तो इसमें होने वाले व्यय जो कि जनता की गाढ़ी कमाई है उसकी बरबादी होगी। प्रत्येक पहलू को मदद्ेनजर रखते हुए ही निर्णय लिया जाना उचित होगा।
प्रशासन द्वारा मार्ग चैड़ीकरण एवं वृक्षों के प्रत्यारोपण के रोडमैप की समस्त जांचों को आख्या सहित सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
सड़क चैड़ीकरण योजना कहां से कहां तक प्रस्तावित हैं इसकी पूर्ण जानकारी उपलब्ध करायी जायें क्यांेकि यदि सड़क चैड़ीकरण रानीबाग तक ही है, तो इसका कदाचित लाभ प्रतीत नहीं होता क्यांेकि आगे जाकर सड़क संकरी हो जायेगी जो फिर से एक जाम का नया स्थल बन जायेगा। इसलिए पूर्ण कार्ययोजना की रूपरेखा को जनपटल पर रखना उचित होगा और इसमें प्रतिनिधियों व जागरूक जनता को विश्वास में लेकर उनकी राय लेना उचित होगा।
स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल एवं विद्युत आपूर्ति जैसे ज्वलन्त मुद्दों पर शासन उदासीन है जबकि आंशिक सड़क चैड़ीकरण व वर्षो पुराने वृक्षों को काटने की तत्परता से संदेह की परिस्थिति उत्पन्न होती है।
अतः प्रशासन से निवेदन है कि उपरोक्त को दृष्टिगत रखते हुए जनहित में उचित कार्यवाही करने की कृपा करें।