होली में रासायनिक रंगों के प्रयोग पर डॉक्टरों ने किया आगाह।
लोहाघाट। होली के रंग भरे खुशनुमा त्यौहार की मस्ती कभी-कभी जीवन भर के लिए भारी पड़ जाती है। बाजारों में ऐसे खतरनाक रासायनिक रंगआए हुए हैं जिनके प्रयोग से केवल चर्म रोग ही नहीं बल्कि आंखों की रोशनी सदा के लिए गंवानी पड़ सकती है। चिकित्सक इसके लिए लगातार आगाह करते आ रहे हैं। नगर की प्रतिष्ठित शिक्षण संस्था ऑकलैंड पब्लिक स्कूल के प्रबंधक लोकेश पांडे कहते हैं कि वह शुरू से ही होलियों के दौरान रासायनिक रंगों के स्थान पर जैविक रंगों का प्रयोग करने के लिए बच्चों को मानसिक रूप से सजग करते आ रहे हैं। इस संबंध में जानकार चिकित्सक तो स्वत: लोगों को जागरुक करते आ रहे हैं।
बॉक्स- उपजिला चिकित्सालय के नेतृ रोग विशेषज्ञ डॉ विराज राठी का कहना है की आंख ईश्वर की ऐसी देन है कि इसका कोई विकल्प नहीं है। होली के दौरान आंखों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इस दौरान काला चश्मा पहनना, आंखों को कभी न रगड़ना, चेहरे में नारियल के तेल की परत लगाना जिससे रंग आंखों में आसानी से प्रवेश न कर सके। रासायनिक रंगों एवं गुब्बारे में रंग का प्रयोग न करें। यदि पहले से ही आंख रोग ग्रस्त है तो वहां जाने से बचें। रासायनिक हरा रंग बेहद खतरनाक होता है जो आंख व त्वचा को शीघ्र प्रभावित करता है।
फोटो- डॉ विराज राठी

बॉक्स- डॉ रितु का कहना है कि रंगों के जहरीले रसायन शीघ्र खून में मिलने से तथा हीमोग्लोबिन से प्रतिक्रिया कर यह मस्तिष्क एवं हृदय जैसे महत्वपूर्ण शरीर के अंगों की ऑक्सीजन की सप्लाई अवरुद्ध कर जानलेवा भी बन सकते हैं। होली में बच्चों को ऐसे खतरनाक रंगों के प्रयोग से बचाए रखना चाहिए।
फोटो-डॉ रितु।

बॉक्स -डॉ करन बिष्ट का कहना है कि रासायनिक रंगों में प्रयुक्त होने वाली चमक तो कोमल त्वचा को बदसूरत बना देती है। गुब्बारे में इस रंग का प्रयोग करने से यदि वह आंखों में लगता है तो इससे मस्तिष्क एवं आंखों को अंदरूनी आघात पहुंचता है। कभी-कभी तो यह जानलेवा भी बन जाते हैं।
फोटो- डॉ करन बिष्ट।

बॉक्स- डॉ मानसी सती कहती है कि काला रासायनिक रंग दिमाग व गुर्दे, कॉपर सल्फेट आंखों में जलन सूजन, सिल्वर रंग अल्युमिनियम ब्रोमाइड कैंसर, नीला रंग भयंकर त्वचा रोग, बैगनी रंग दमा एलर्जी तथा लाल रंग मरकरी सल्फाइड त्वचा कैंसर रोग को दावत देता है। इन खतरनाक रंगों का प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
फोटो-मानसी सती।

बॉक्स-डॉ बीना मेलकानी का कहना है कि रासायनिक रंगों से एलर्जी, खुजली, जलन की समस्या पैदा हो सकती है। होली के रंगों में लेड ऑक्साइड, कॉपर सल्फेड, मरकरी जैसे केमिकल होते हैं जो स्किन कैंसर का भी कारण बन सकते हैं। होली के दौरान अभिभावकों की जागरूकता ही बच्चों को इन खतरों से बचा सकती है।
फोटो-डॉ बीना मेलकानी।
