Almora News:अल्मोड़ा के स्वामी विवेकंदन प्रवेश द्वार पर खुली मदिरा की दुकान हमारी संस्कृति पर काला धब्बा, प्रशासन ने नहीं हटाई दुकान तो चरणबद्ध तरीके से करूंगा आंदोलन-वैभव पाण्डेय

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अल्मोड़ा-प्रैस को जारी एक बयान में नवनिर्वाचित पार्षद एवं अधिवक्ता वैभव पाण्डेय ने अल्मोड़ा के प्रवेश द्वार में शराब की दुकान खोले जाने का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि अल्मोड़ा के प्रवेश द्वार पर शराब की दुकान अल्मोड़ा की संस्कृति पर एक काला चिन्ह है जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा में एक समय हमारे महापुरुष स्वामी विवेकानंद ने ज्ञान की गंगा को प्रवाहित किया।यह वह स्थान है जहाँ शांति और शक्ति का अद्भुत मेल था। स्वामी विवेकानंद ने यहाँ की धरती को पवित्र माना था पर आज स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा के नीचे नशे का व्यापार हो रहा है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आज इस मुद्दे पर बात करना बहुत जरूरी हो गया है क्योंकि यहां बात हमारे भविष्य हमारे युवा हमारी विरासत हमारी संस्कृति की है।अल्मोड़ा के प्रवेश द्वार पर स्वामी विवेकानंद द्वार से अल्मोड़ा मे पर्यटकों का स्वागत होता है। बहुत सुंदर गेट का यहां निर्माण किया गया है पर ठीक उसके नीचे देशी शराब की ये दुकान ना केवल अल्मोड़ा की छवि को प्रभावित कर रही है बल्कि हमारे युवाओं पर भी गलत असर डाल रही है।यहां आने वाले पर्यटक खासकर युवा,शांति,प्रेरणा और सांस्कृतिक जुड़ाव के लिए अल्मोड़ा आते हैं। लेकिन इस दुकान का यहां होना गलत संदेश दे रहा है।यह दुकान हमारे युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है और ऐसी आदतें प्रोत्साहित कर रही है जो हमारे समाज और संस्कृति के अनुरूप नहीं हैं।आज हम सबको इसके बारे में सोचना होगा और इसके खिलाफ आगे आना होगा।हम सभी नागरिकों को अब जागरूक होना होगा और जिम्मेदारी के साथ कदम उठाना होगा। उन्होंने प्रशासन से भी अनुरोध किया हैं कि इस दुकान को ऐसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थान से हटाया जाए। उन्होंने कहा कि आज वे जनहित की इस लड़ाई की शुरुवात कर रहे हैं और जबतक इस दुकान को यहां से हटाया नही जाता तब तक लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि यदि शीघ्र ही शासन प्रशासन ने इस मुद्दे पर गंभीरता पूर्वक विचार कर मदिरा की इस दुकान को यहां से नहीं हटाया तो उनके द्वारा चरणबद्ध तरीके से आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी और अल्मोड़ा की संस्कृति को बचाने के लिए सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।


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