सायंकालीन स्कूल में मनाया गया विश्व वन्यजीव दिवस

Spread the love

समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड 

ज्योतिबा फुले सांयकालीन स्कूल पूछड़ी में आज सोमवार को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया गया। इस दिवस पर वरिष्ठ चित्रकार सुरेश लाल ने बच्चों के साथ वन्यजीवों के चित्र बनाए। इस मौके पर बोलते हुए रचनात्मक शिक्षक मंडल के संयोजक नवेंदु मठपाल ने कहा कि 20 दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 68वें सत्र मे 3 मार्च को संयुक्त राष्ट्र विश्व वन्यजीव दिवस घोषित किया गया। यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन 1973 में वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए थे।

संयुक्त राष्ट्र विश्व वन्यजीव दिवस अब वन्यजीवों को समर्पित वैश्विक वार्षिक कार्यक्रम बन गया है। विश्व वन्यजीव दिवस का उद्देश्य लोगों को प्राकृतिक दुनिया से जोड़ना तथा दिन के बाद भी जानवरों और पौधों के लिए निरंतर सीखने और कार्य करने के लिए प्रेरित करना है। सांयकालीन स्कूल के शिक्षक सुजल ने बच्चों को बताया
विश्व वन्यजीव दिवस 2025 के लिए दृष्टिकोण है हमारे साथ मिलकर यह पता लगाएं कि हम वन्यजीव संरक्षण को अधिक प्रभावी और स्थायी रूप से वित्तपोषित करने के लिए कैसे मिलकर काम कर सकते हैं और लोगों और ग्रह दोनों के लिए एक लचीले भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। जंगली जानवर और पौधे, हाइलैंड स्टेप्स से लेकर कोरल रीफ तक, पृथ्वी पर जीवन के जटिल जाल के अभिन्न अंग हैं। वे पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखते हैं, प्राकृतिक प्रक्रियाओं को विनियमित करते हैं, और जैव विविधता का समर्थन करते हैं, मानव आजीविका को आधार प्रदान करने वाली आवश्यक सेवाएँ प्रदान करते हैं और हमारे सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की उपलब्धि में योगदान करते हैं । अकेले वनों में 60,000 वृक्ष प्रजातियाँ, 80 प्रतिशत उभयचर प्रजातियाँ और 75 प्रतिशत पक्षी प्रजातियाँ हैं, जबकि भोजन, दवा और आय के रूप में प्राकृतिक पूंजी के साथ 1.6 बिलियन से अधिक लोगों का समर्थन करते हैं। अनुमान है कि 1 मिलियन से ज़्यादा प्रजातियाँ विलुप्त होने के खतरे में हैं और ट्रिपल प्लैनेटरी संकट गहराता जा रहा है, ऐसे में वन्यजीव संरक्षण के लिए अभिनव वित्त पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है। दुनिया की आधी से ज़्यादा जीडीपी प्रकृति पर निर्भर है, जिससे जैव विविधता का नुकसान वित्तीय स्थिरता के लिए एक बड़ा ख़तरा बन गया है। उदाहरण के लिए, कुछ देशों में मत्स्य पालन जीडीपी में 10 प्रतिशत से ज़्यादा का योगदान देता है, फिर भी समुद्री मछली के एक तिहाई से ज़्यादा स्टॉक का ज़रूरत से ज़्यादा दोहन किया जाता है, जिससे बेरोज़गारी, अर्थव्यवस्था में व्यवधान और अवैध कटाई की प्रथाएं बढ़ रही हैं। इस मौके पर पिंकी,सोनम नेगी,पायल नेगी, पवन कुमार, मो.हसन, ताज मोहम्मद, निदा, तानिया,अलिना मौजूद रहे।

 


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *